शुक्र के महादशा का फलित करना बहुत ही कठिन है।क्योंकि शुक्र बहुत रहस्यमयी ग्रह है।सुख,समृद्धि ऐश्वर्य का स्वामी होने के बावजूद इसके प्रभाव में आके जातक कुछ ऐसी गलतियां कर देता है जिसका निवारण नही होता।
शुक्र उच्च का, अपनी राशि का, बलवान, हो, सर्वोच्च स्थान में हो, पंचम नवम स्थान में, मीन राशि में हो, और उसकी शुभ दशा हो तो गाना, बजाना, नाचना, शिल्प कलाओ की तरफ प्रवृति, सुगन्धित पदार्थ, स्वादिष्ट भोजन, अच्छे -अच्छे वाहन, अच्छी पीने की चीजे, अच्छे वस्त्र , अच्छी स्त्रियां, विषय भोग ,कोमल शैया तथा तकिये, फूल, चन्दन, पान की {ताम्बूल} प्राप्ति, दान देने की प्रवृति, मित्र तथा आपसी लोगो से प्रेम, व्यापर में सफलता, निक्षिप्त धन का लाभ, खेती से लाभ, जायदाद वगैरे का लाभ तथा अनेक प्रकार के धन की प्राप्ति यें बातें होती है |इस दशा में आप विदेश भ्रमण करते है संतान में कन्या रत्न की प्राप्ति होती है।आप के व्यवसाय में उन्नति होती है , नेता, एम.पी. तथा एम. एल.ए.बनाने का योग भी इस दशा में बनता है ।
शुक्र नीच राशि में हो , पापग्रहों के साथ हो, निर्बली हो, पापग्रहों के बीच में होतो शुक्र की दशा में आप कई नए प्रकार के व्यसन पाल लेतें है।मन की पीड़ा से सदैव पीड़ित रहता हुआ स्त्री से विशेष हानि उठाता है | इस योग में स्त्री से भी धन लाभ होता है तथा बंधुओ से झगड़े होने के कारण मुक़दमे बाजी में संचित द्रव्य की हानि होती रहती है | स्त्री पुत्रो से विरोध होता है |लोगो से घृणा, राज्य से अप्रसन्नता, दुष्ट आदमियों से झगड़ा, मित्रो के द्वारा दुःख, कन्या तथा स्त्री का नाश अथवा उनके द्वारा इन्द्रियों का बलहीन होना, नीच जाति की स्त्रियों से संगम तथा कलह स्वयं की चिंता से ह्रदय पर भी बुरा असर, पड़ना इत्यादि बातें होती है |शुक्र यदि द्वितीय, तथा सप्तम का स्वामी हो तो दोहपीड़ा होती है |
शुक्र यदि अपनी नीच राशि में होकर उच्च नवांश में हो तो उसकी दशा में कृषि, व्यापार, इनकी वृद्धि होती है |
शुक्र यदि अपनी उच्च राशि में होकर नीच नवांश में हो तो उसकी दशा में धन नाश तथा स्थानच्युति होती है |
शुक्र यदि भाग्य अथवा कर्म का अधिपति होकर लग्न अथवा चतुर्थ स्थान में गया हो तो, उसकी दशा में महान सुख, देश या ग्रामपर अधिकार, देवालय तथा तालाब का निर्माण करना, पुण्य कर्म का संग्रह इत्यादि बातें होती है |
अपनी अन्तर्दशा में इस प्रकार के फल मिलते है, अन्य फल दूसरी अंत- दशा में मिलते है | द्वादश स्थान में शुक्र हो तो उसकी दशा में -- अन्न, धन, राजा से सम्मान मिलता है तथा स्थान हानि, परदेश गमन, माता का वियोग होता है। अष्ठम स्थान में शुक्र हो तो उसकी दशा में -- शस्त्र, अग्नि, चोर से भय प्राप्त होता है | कार्य में विघ्न होता है | कभी सुख, कभी धन, कभी राज्य से यश मिलता है |अष्ठम स्थान में शुक्र हो तो उसकी दशा में अन्न, धन, पुत्र, भाई का नाश होता है | कोई बड़ा रोग उत्पन्न होता है | कार्य हानि होती है | शत्रु राजा, अग्नि तथा चोर से भय होता है |
उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्थिति, बलाबल को भी ध्यान में रख कर की विवेचना की जाती है।उचित उपाय से समाधान निश्चित है।
www.ompandit.com
9977742288
Leave a Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *
1 Comment