vastu Pujan karne ka fal na karne ke dosh jaane वास्तु पूजन करने के फल ना करने के दोष जाने

February 3, 2020

गृहशांति पूजन (गृह प्रवेश)

जब किसी भवन, गृह आदि का निर्माण पूर्ण हो जाता है, एवं गृहप्रवेश के पूर्व जो पूजन किया जाता है, उसे गृहशांति पूजन कहते है। यह पूजन एक अत्यंत आवश्यक पूजन है, जिससे गृह-वास्तु-मंडल में स्थित देवता उस मकान आदि में रहने वाले लोगों को सुख, शांति, समृद्धि देने में सहायक होते हैं। यदि किसी नये गृह मंे गृहशांति पूजन आदि न करवाया जाए तो गृह-वास्तु -देवता लोगों के लिए सर्वथा एवं सर्वदा विध्न करते रहते है। गृह, पुर एवं देवालय के सूत्रपात के समय, भूमिशोधन, द्वारस्थापन, शिलान्यास एवं गृहप्रवेश इन पांचों के आरम्भ में वास्तुशांति आवश्यक है।
गृह-प्रवेश के आरंभ में गृह-वास्तु की शांति अवश्य कर लेनी चाहिए। यह गृह मनुष्य के लिए ऐहिक एवं पारलोकिक सुख तथा शांिन्तप्रद बने इस उद्देश्य से गृह वास्तु शांति कर्म का प्रतिपादन ऋषियों द्वारा किया गया। कर्मकाण्ड में वास्तुशांति का विषय अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि, जरा सी भी त्रुटि रह जाने से लाखों एवं करोडों रूपये व्यय करके बनाया हुआ गृह जरा से समय मे भूतों का निवास अथवा गृहनिर्माणकर्ता, शिल्पकार अथवा गृहवास्तु शांति कराने वाले विद्वान के लिए घातक हो सकता है। वास्तुशांति करवाने वाले योग्य पंडित का चुनाव ही महत्तवपूर्ण होता है, कारण कि वास्तुशांति का कार्य यदि वैदिक विधि द्वारा पूर्णतः संपन्न नहीं होता तो गृहपिण्ड एवं गृहप्रवेश का मुहूर्त भी निरर्थक हो जाता है। अतः गृह निर्माण कर्ता को कर्मकाण्डी विद्वान का चुनाव अत्यधिक विचारपूर्वक करना चाहिए।

गृहशांति पूजन न करवाने से हानियां

  • गृहवास्तु दोषों के कारण गह निर्माता को तरह-तरह की विपत्तियों का सामना करना पडता है।
  • यदि गृहप्रवेश के पूर्व गृहशांति पूजन नहीं किया जाए तो दुस्वप्न आते हैं, अकालमृत्यु, अमंगल संकट आदि का भय हमेशा रहता है।
  • गृहनिर्माता को भयंकर ऋणग्रस्तता, का समना करना पडता है, एवं ऋण से छुटकारा भी जल्दी से नहीं मिलता, ऋण बढता ही जाता है।
  • घर का वातावरण हमेशा कलह एवं अशांति पूर्ण रहता है। घर में रहने वाले लोगों के मन में मनमुटाव बना रहता है। वैवाहि जीवन भी सुखमय नहीं होता।
  • उस घर के लोग हमेशा किसी न किसी बीमारी से पीडित रहते है, तथा वह घर हमेशा बीमारीयों का डेरा बन जाता है।
  • गहनिर्माता को पुत्रों से वियोग आदि संकटों का सामना करना पड सकता है।
  • जिस गृह में वास्तु दोष आदि होते है, उस घर मे बरकत नहीं रहती अर्थात् धन टिकता नहीं है। आय से अधिक खर्च होने लगता है।
  • जिस गृह में बलिदान तथा ब्राहमण भोजन आदि कभी न हुआ हो ऐसे गृह में कभी भी प्रवेश नहीं करना चाहिए। क्योंकि वह गृह आकस्मिक विपत्तियों को प्रदान करता है।

गृहशांति पूजन करवाने से लाभ

  • यदि गृहस्वामी गृहप्रवेश के पूर्व गृहशांति पूजन संपन्न कराता है, तो वह सदैव सुख को प्राप्त करता है।
  • लक्ष्मी का स्थाई निवास रहता है, गृह निर्माता को धन से संबंधित ऋण आदि की समस्याओं का सामना नहीं करना पडता है।
  • घर का वातावरण भी शांत, सुकून प्रदान करने वाला होता है। बीमारीयों से बचाव होता है।
  • घर मे रहने वाले लोग प्रसन्नता, आनंद आदि का अनुभव करते है।
  • किसी भी प्रकार के अमंगल, अनिष्ट आदि होने की संभावना समाप्त हो जाती है।
  • घर में देवी-देवताओं का वास होता है, उनके प्रभाव से भूत-प्रेतादि की बाधाएं नहीं होती एवं उनका जोर नहीं चलता।
  • घर में वास्तुदोष नहीं होने से एवं गृह वास्तु देवता के प्रसन्न होने से हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
  • सुसज्जित भवन में गृह स्वामी अपनी धर्मपत्नी तथा परिवारीकजनों के साथ मंगल गीतादि से युक्त होकर यदि नवीन गृह में प्रवेश करता है तो वह अत्यधिक श्रैष्ठ फलदायक होता है।
  • जिस जमीन के ऊपर हम लोग मकान बनाते हैं वहां कितने ही जीवन सा पाप कुकर्म आदि कर्म होते हैं उन दोषों की शांति के लिए हम वास्तुशांती पूजन हवन आदि कर्म करते हैं
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