नवधा भक्ति केसी है और उसके स्वरूप

June 11, 2020

????भक्ति के नौ स्वरूप????
~~~~~~~~~~~~~~
भगवान राम का शबरी को नवधा भक्ति का उपदेश
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
????नवधा भगति कहउँ तोहि पाही,
सावधान सुनु धरू मन माही ।
प्रथम भगति संतन्ह कर संगा,
दूसरि रति मम कथा प्रसंगा ।।

भावार्थ- में अब तुझसे अपनी नवधा भक्ति कहता हूँ, तू सावधान होकर सुन और मन में धारण कर,पहली भक्ति है संतो का सत्संग, दूसरी भक्ति है मेरा कथा प्रंसग में प्रेम ।

????गुरु पद पंकज सेवा,
तीसरि भक्ति अमान ।
*चौथि भगति मम गुन गन,*
*करइ कपट तजि गान ।।*

भावार्थ- तीसरी भक्ति है अभिमान रहित होकर गुरु के चरणकमलों की सेवा और *चौथी भक्ति यह है कि कपट छोडकर मेरे गुण समूहों का गान करे ।*

????मंत्र जाप में मम दृंढ बिस्वासा,
पंचम भजन सों बेद प्रकासा ।
छठ दम सील बिरति बहु करमा,
निरत निरंतर सज्जन धरमा ।

भावार्थ- मेरे राम मंत्र का जाप और मुझ में दृढं विश्वास यह पांचवी भक्ति है जो वेदों में प्रसिद्ध है छटी भक्ति है इन्द्रियों का निग्रह, शील स्वभाव बहुत कार्यो से वैराग्य और निरंतर संतपुरुषो के धर्म आचरण में लगे रहना.

????सातवँ सम मोहि मय जग देखा,
मोते संत अधिक करि लेखा ।
आठवाँ जथालाभ संतोषा,
सपनेहूँ नहि देखइ परदोषा ।

भावार्थ- सातवी भक्ति है जगत भर को सम्भाव से मुझमे ओतप्रोत देखना और संतो को मुझ से भी अधिक करके मानना.आठवी भक्ति है जो कुछ मिल जाये उसी में संतोष करना और स्वप्न में भी पराये दोषो को ना देखना ।

????नवम सरल सब सन छलहीना,
मम भरोस हियँ हरष न दीना ।
नव महुँ एकउ जिन्ह कें होई,
नारी पुरुष सचराचर कोई ।।

भावार्थ - नवी भक्ति है सरलता और सबके साथ कपटरहित बर्ताव करना ह्रदय में मेरा भरोसा रखना और किसी भी अवस्था में हर्ष और विषाद का ना होना इन नवो में से जिनके एक भी होती है वह स्त्री-पुरुष जड़-चेतन कोई भी हो।

????सोइ अतिसय प्रिये भामिनि मोरें,
सकल प्रकार भगति दृढ तोरें ।
जोगि वृन्द दुरलभ गति जोई,
तो कहुँ आजु सुलभ भइ सोई ।।

भावार्थ- हे भामिनी ! मुझे वही अत्यन्त प्रिय है, फिर तुझ में तो सभी प्रकार की भक्ति दृढ़ है, अतएव जो गति योगियों को भी दुर्लभ है वही आज तेरे लिये सुलभ हो गयी है।

????साधक शबरी जी जैसा होना चाहिए ????

????गुरु वाणी में कितना दृढ विश्वास एक बार भी गुरु से नहीं पूछा कि समय तो बताते जाओ कि कब दर्शन देगे । साधना का पथ भी यही कहता है गुरु ने जो कह दिया बस उनकी बात पर श्रद्धा होनी चाहिये, तर्क वितर्क नहीं !!

????शबरी जी अपने कुटियाँ के चारो तरफ की रास्ते पर रोज फूल बिछाती थी, बुहारती थी, मानो बता रही है कि ये जो हमारे शरीर के अंग है, आँख, कान, नाक, मुहँ, ये भगवान के आने के रास्ते है अतः इन्हें साफ सुथरा रखे, इनसे बुरी चीजे अंदर नहीं जाने दें !!

????शबरी जी की सारी उम्र बीत गई, पर अपना उत्साह, धैर्य नहीं छोड़ा वे बता रही है कि साधक को भी धैर्य और विश्वास कभी नहीं छोडना चाहिये, क्योकि परमात्मा "धैर्य और विश्वास" से ही मिलते है।

????भगवान रामचंद्र भी कह रहे है कि जिस साधक में शबरी जैसी भक्ति हो, मेरा ऐसा भक्त किसी जंगल में क्यों ना बैठा हो उसे मुझे ढूँढने कि आवश्यक नहीं है में स्वयं उसे ढूँढता हुआ उस तक पहुँच जाता हूँ ।
????????जय सियाराम जी????????

पंडित ओम प्रकाश शर्माा

ज्योतिषाचार्य उज्जैन महाकाल वन

मोबाइल नंबर9977742288

www.ompandit.com


~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

There are serious errors in your form submission, please see below for details.