पौष मास में अवश्य करें भगवान सूर्य देव की आर्धना

January 3, 2021

* हरिओम ज्योतिष केंद्र उज्जैन। ????पौष रविवार व्रत ????सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व????*

*हिंदू पंचांग में 10वें महीने को पौष मास कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार, इस महीने में सूर्य देव 11 हजार रश्मियों के साथ व्यक्ति को स्वास्थ्य प्रदान करते हैं. 31 दिसंबर बृहस्पतिवार से पौष मास का आगाज हो चुका है. पौष मास 28 जनवरी तक रहेगा.*

*????सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व*????

*????नवग्रहों के राजा होने से सूर्यदेव समस्त राजकीय कामकाज के कारक हैं। राजनीति में कोई भी सूर्य के आशीर्वाद के बिना सफल नहीं हो सकता. सरकारी नौकरी, उच्च पद, यश-सम्मान सूर्यदेव ही प्रदान करते हैं. जिनकी कुंडली में सूर्य की स्थिति अच्छी हो उन्हें ये सब सहजता से मिल जाते हैं जबकि कुंडली में सूर्य कमजोर रहने पर इन सबके लिए कठिन संघर्ष करना पडता है. पौष मास में सूर्य देव की नियमित पूजा-अर्चना कर सूर्य देव की कृपा पाई जा सकती है।*

*????पौष मास में सूर्य देव की उपासना विधि*????

*1. पौष मास (Paush Maas) में सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करें.*
 
*2. तांबे के बर्तन में जल लेकर उसमें लाल चंदन और लाल फूल डालें. फिर सूर्य देव को अर्घ्य दें.*

*3. उसके पश्चात ‘ॐ श्री सूर्य देवाय नमः’ का जाप करें.*

*4. पौष मास में रविवार को फलाहार करके व्रत रखने का विशेष महत्व होता है. इस दिन नमक का सेवन न करें. सूर्यदेव को तिल और खिचड़ी का भोग लगाएं.*

*????पौष रविवार व्रत विधि*????

*अलूना भोजन करे ,सूर्य भगवान की आराधना करे , दिन में तिन समय सूर्य को अर्ध्य प्रदान करे |इस दिन छाछ नही बनाये , महिलाओ को सिर नही धोना चाहिये , तेल नही खाना चाहिए , नीले  वस्त्र नही पहनने चाहिए | पूजा करके कहानी सुनना चाहिए |*

*????पौष रविवार व्रत की कहानी*????

*एक साहूकार था | उसके बच्चा नही था | एक दिन सवेरे वो बाहर गया , देखा एक किसान खेत में दाना डालने जा रहा था | साहूकार के मिलते ही वो वापस लौट गया और बोलता गया , आज तो शगुन अच्छा नही हुआ |*

*किसान की बात साहूकार ने सुन ली उसका मुंह उतर गया उदास मन से जब घर गया तो उसकी पत्नी ने उदासी का कारण पूछा , आज क्या बात हैं ? साहूकार ने सारी बात बताई तो पत्नी बोली आज चिड़िया आई तो वे भी बोली , बच्चे नहीं यहाँ  तो दाना कहाँ से मिलेगा कहकर उड़ गई | साहूकार को क्रोध आया | उसी दिन से सूरज भगवान की आराधना करने लगा | 12 वर्ष बीत गये | राणा दे जी ने सूरज भगवान से कहाँ यह इतने मन से आपकी आराधना करता हैं इसकी पुकार सुन लो जी |*

*सूर्य भगवान ने उसके सामने प्रकट हुए और कहाँ तेरे भग्य में सन्तान नही हैं पर मेरे आशीर्वाद से एक कन्या होगी |*

*नवें महीने एक कन्या ने उनके घर में जन्म लिया | कन्या जब हसंती तो उसके मुख से हीरे मोती गिरते | मालिश वाली आती और हीरे मोती ले जाती | एक माह बाद मालिश वाली का आना बंद कर दिया तो उसकी माँ को हीरे मोती मिलने लगे | उनके घर में बहुत धन – दौलत हो गई | उसके पिता ने सोचा लडकी बड़ी हो गई हैं इसकी शादी कर देते हैं | उसकी माँ ने कहा मेरे उठते ही इसका मुँह देखने का नियम हैं | क्यों नहीं हम घर जँवाई रख लेते हैं |*

*एक गरीब लड़का ढूंढा और उसकी शादी के दी | शादी के बाद रोज सुबह उसकी माँ उसको उठाने जाती तो लडके को बुरा लगता तो लडकी ने प्यार से समझा दिया की माँ के मेरा मुँह देखने का नियम हैं | एक दिन जवाई ने लडकी को उठा दिया और देखा हीरे मोती उसके मुँह से गिर रहे हैं उसने उठा लिया | लडकी की माँ आई तो समझ गई की जँवाई को पता चल गया | उसके मन में लालच ने घर कर लिया उसने अपने जँवाई को मारने के लिएएक आदमी भेज दिया |आदमी ने जँवाई को मार दिया और उसका सिर सासु को लाके दे दिया |*

*राणा दे जी  और सूरज भगवान ने सोचा म्हारी दी हुई लडकी के पति को मार दिया उसकी रक्षा करनी चाहिये | सूज भगवान ब्राह्मण का रूप धारण कर के गये और भिक्षा में जँवाई का सिर ले आये | अंग जौडकर अमृत का छिता दिया और उसका पति जीवित हो गया | लडकी के पौष रविवार का व्रत करने का नियम था | वह पूजा कर कहानी सुन भोजन करने के लिये पति का इंतजार कर रही थी | उसका पति आया तो उसने पूछा आपको पता नहीं हैं क्या दिन अस्त होने पर में खाना नही खा सकती |अगले दिन खाना पड़ता हैं | उसके पति ने उसको सारी बात बताई | बेटी बोली अब हम यहाँ नही रहेंगे | सास ने बहुत पश्चाताप किया पर बेटी अपने पति के साथ ससुराल में शुख पूर्वक रहने लगी | उसके घर में सुख़ स्मृद्दी हो गई |*

*हे सूरज भगवान ! जेसी बेटी पर कृपा करी वैसी सब पर करना | उसने अपने परिवार पुत्र पौत्र के साथ जीवन यापन कर अंत में सूर्य लोक में स्थान प्राप्त किया |*

*????|| जय बोलो सूरज भगवान जी जय ||*????

*✳मंत्र : ✳*

*1 ऊं घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:* 

*2 ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।* 

*3 ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।* 

*????उपरोक्त मंत्रों में से जो मंत्र आसानी से याद हो जाए उसके द्वारा सूर्य देव का अर्चन करें। अपनी मनोकामना मन ही मन बोलें। पौष मास के प्रत्येक रविवार को इस प्रकार पूजन करने से अवश्य लाभ मिलता है। अगर भाषा व उच्चारण शुद्ध हो तो आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें। यह अनुभूत प्रयोग है।*

*????सूर्योपनिषत् सूर्याथर्वशीर्षम् च* ????

*अथर्ववेदीय सामान्योपनिषत् ।*
सूदितस्वातिरिक्तारिसूरिनन्दात्मभावितम् ।
सूर्यनारायणाकारं नौमि चित्सूर्यवैभवम् ॥

ॐ भद्रं कर्णेभिः श्रुणुयाम देवाः ।
भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभिर्व्यशेम देवहितं यदायुः ।

स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

हरिः ॐ अथ सूर्याथर्वाङ्गिरसं व्याख्यास्यामः । ब्रह्मा ऋषिः । गायत्री छन्दः । आदित्यो देवता । हंसः सोऽहमग्निनारायणयुक्तं बीजम् । हृल्लेखा शक्तिः । वियदादिसर्गसंयुक्तं कीलकम् । चतुर्विधपुरुषार्थसिद्ध्यर्थे विनियोगः ।

षट्स्वरारूढेन बीजेन षडङ्गं रक्ताम्बुजसंस्थितम् ।
सप्ताश्वरथिनं हिरण्यवर्णं चतुर्भुजं पद्मद्वयाभयवरदहस्तं कालचक्रप्रणेतारं श्रीसूर्यनारायणं य एवं वेद स वै ब्राह्मणः ।

ॐ भूर्भुवःसुवः । ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो नः प्रचोदयात् ।

सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च । सूर्याद्वै खल्विमानि भूतानि जायन्ते ।
सूर्याद्यज्ञः पर्जन्योऽन्नमात्मा नमस्त आदित्य ।

त्वमेव प्रत्यक्षं कर्मकर्तासि । त्वमेव प्रत्यक्षं ब्रह्मासि । त्वमेव प्रत्यक्षं विष्णुरसि । त्वमेव प्रत्यक्षं रुद्रोऽसि । त्वमेव प्रत्यक्षमृगसि । त्वमेव प्रत्यक्षं यजुरसि । त्वमेव प्रत्यक्षं सामासि । त्वमेव प्रत्यक्षमथर्वासि । त्वमेव सर्वं छन्दोऽसि ।

आदित्याद्वायुर्जायते ।
आदित्याद्भूमिर्जायते ।
आदित्यादापो जायन्ते ।
आदित्याज्ज्योतिर्जायते ।
आदित्याद्व्योम दिशो जायन्ते ।
आदित्याद्देवा जायन्ते ।
आदित्याद्वेदा जायन्ते ।

आदित्यो वा एष एतन्मण्डलं तपति ।
असावादित्यो ब्रह्म । आदित्योऽन्तःकरणमनोबुद्धिचित्ताहङ्काराः ।
आदित्यो वै व्यानः समानोदानोऽपानः प्राणः ।

आदित्यो वै श्रोत्रत्वक्चक्षूरसनघ्राणाः ।
आदित्यो वै वाक्पाणिपादपायूपस्थाः ।
आदित्यो वै शब्दस्पर्शरूपरसगन्धाः । आदित्यो वै वचनादानागमनविसर्गानन्दाः ।

आनन्दमयो ज्ञानमयो विज्ञानानमय आदित्यः ।
नमो मित्राय भानवे मृत्योर्मा पाहि ।
भ्राजिष्णवे विश्वहेतवे नमः ।
सूर्याद्भवन्ति भूतानि सूर्येण पालितानि तु ।

सूर्ये लयं प्राप्नुवन्ति यः सूर्यः सोऽहमेव च ।
चक्षुर्नो देवः सविता चक्षुर्न उत पर्वतः ।
चक्षुर्धाता दधातु नः ।

आदित्याय विद्महे सहस्रकिरणाय धीमहि । तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ।

सविता पश्चात्तात्सविता पुरस्तात्सवितोत्तरात्तात्सविताधरात्तात् ।
सविता नः सुवतु सर्वतातिं सविता नो रासतां दीर्घमायुः ।

ॐइत्येकाक्षरं ब्रह्म ।
घृणिरिति द्वे अक्षरे ।
सूर्य इत्यक्षरद्वयम् ।
आदित्य इति त्रीण्यक्षराणि ।

एतस्यैव सूर्यस्याष्टाक्षरो मनुः ।
यः सदाहरहर्जपति स वै ब्राह्मणो भवति स वै ब्राह्मणो भवति ।
सूर्याभिमुखो जप्त्वा महाव्याधिभयात्प्रमुच्यते ।

अलक्ष्मीर्नश्यति । अभक्ष्यभक्षणात्पूतो भवति ।
अगम्यागमनात्पूतो भवति ।
पतितसम्भाषणात्पूतो भवति ।
असत्सम्भाषणात्पूतो भवति ।
मध्याह्ने सूराभिमुखः पठेत् । सद्योत्पन्नपञ्चमहापातकात्प्रमुच्यते ।
सैषां सावित्रीं विद्यां न किञ्चिदपि न कस्मैचित्प्रशंसयेत् ।

य एतां महाभागः प्रातः पठति स भाग्यवाञ्जायते ।
पशून्विन्दति ।
वेदार्थं लभते ।

त्रिकालमेतज्जप्त्वा क्रतुशतफलमवाप्नोति ।

यो हस्तादित्ये जपति स महामृत्युं तरति य एवं वेद ॥

इत्युपनिषत् ॥

हरिः ॐ भद्रं कर्णेभिरिति शान्तिः

*॥ इति सूर्योपनिषत्समाप्ता ॥*

*????पौष मास में पूजा-अर्चना और उपासना करने से मनुष्य को फल की प्राप्ति तुरंत हो जाती है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि इस मास में गर्म वस्त्र दान करने चाहिए। इस महीने में लाल और पीले वस्त्र धारण करना चाहिए।✳ ओम प्रकाश शर्मा ज्योतिषाचार्य उज्जैन महाकाल www.ompandit.com Mo.9977742288

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