रुद्राक्ष धारण विधि और महत्व

September 20, 2019

रुद्राक्ष धारण विधि और महत्व
  1. *????इन्सान को मोक्ष दिला सकती है रूद्राक्ष की माला !????*

    रुद्राक्ष यानि रुद्र+अक्ष, रुद्र अर्थात भगवान शंकर व अक्ष अर्थात आंसू। भगवान शिव के नेत्रों से जल की कुछ बूंदें भूमि पर गिरने से महान रुद्राक्ष अवतरित हुआ।

    भगवान शिव की आज्ञा पाकर वृक्षों पर रुद्राक्ष फलों के रूप में प्रकट हो गए।

    मान्यता है रुद्राक्ष अड़तीस प्रकार के हैं जिनमें कत्थई वाले बारह प्रकार के रुद्राक्षों की उत्पत्ति सूर्य के नेत्रों से, श्वेतवर्ण के सोलह प्रकार के रुद्राक्षों की उत्पत्ति चन्द्रमा के नेत्रों से तथा कृष्ण वर्ण वाले दस प्रकार के रुद्राक्षों की उत्पत्ति अग्नि के नेत्रों से होती है।

    आइए जानें रुद्राक्षों के दिव्य तेज से आप कैसे दुखों से मुक्ति पा कर सुखमय जीवन जीते हुए शिव कृपा पा सकते हैं

    यथा च दृश्यते लोके रुद्राक्ष: फलद: शुभ:।
    न तथा दृश्यते अन्या च मालिका परमेश्वरि:।।

    अर्थात संसार में रुद्राक्ष की माला की तरह अन्य कोई दूसरी माला फलदायक और शुभ नहीं है।

    श्रीमद्- देवीभागवत में लिखा है :
    रुद्राक्षधारणाद्य श्रेष्ठं न किञ्चिदपि विद्यते।

    अर्थात संसार में रुद्राक्ष धारण से बढ़कर श्रेष्ठ कोई दूसरी वस्तु नहीं है।

    रुद्राक्ष की दो जातियां होती हैं- रुद्राक्ष एवं भद्राक्ष

    रुद्राक्ष के मध्य में भद्राक्ष धारण करना महान फलदायक होता है।

    भिन्न-भिन्न संख्या में पहनी जाने वाली रुद्राक्ष की माला निम्न प्रकार से फल प्रदान करने में सहायक होती है जो इस प्रकार है

    1 रुद्राक्ष के सौ मनकों की माला धारण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

    2 रुद्राक्ष के एक सौ आठ मनकों को धारण करने से समस्त कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। इस माला को धारण करने वाला अपनी पीढ़ियों का उद्घार करता है।

    3 रुद्राक्ष के एक सौ चालीस मनकों की माला धारण करने से साहस, पराक्रम और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

    4 रुद्राक्ष के बत्तीस दानों की माला धारण करने से धन, संपत्ति एवं आयु में वृद्धि होती है।

    5 रुद्राक्ष के 26 मनकों की माला को सर पर धारण करना चाहिए।

    6 रुद्राक्ष के 50 दानों की माला कंठ में धारण करना शुभ होता है।

    7 रुद्राक्ष के पंद्रह मनकों की माला मंत्र जप तंत्र सिद्धि जैसे कार्यों के लिए उपयोगी होती है।

    8 रुद्राक्ष के सोलह मनकों की माला को हाथों में धारण करना चाहिए।

    9 रुद्राक्ष के बारह दानों को मणि बंध में धारण करना शुभदायक होता है।

    10 रुद्राक्ष के 108, 50 और 27 दानों की माला धारण करने या जाप करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

    रुद्राक्ष माला को धारण करने के नियम

    1 जिस रुद्राक्ष माला से जाप किया जाता है उसे धारण नहीं करना चाहिए। उसी प्रकार जिस माला को धारण किया जाता है उससे जाप नहीं करना चाहिए।

    2 किसी अन्य के उपयोग में आया रुद्राक्ष अथवा रुद्राक्ष माला को उपयोग नहीं करना चाहिए।

    3 रुद्राक्ष की प्राण-प्रतिष्ठा करवाने के पश्चात उसे शुभ मुहूर्त में ही धारण करें।

    4 रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक को मांस, मदिरा, लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए।

    5 रुद्राक्ष को अंगूठी में जड़वाकर धारण नहीं करना चाहिए।

    6 स्त्रियों को मासिक धर्म के समय रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए।

    7 रुद्राक्ष धारण कर रात को शयन नहीं करना चाहिए।

    जो व्यक्ति पवित्र और शुद्ध मन से भगवान शंकर की आराधना करके रुद्राक्ष धारण करता है, उसका सभी कष्ट दूर हो जाता है। यहां तक मानना है कि इसके दर्शन मात्र से ही पापों का क्षय हो जाता है।

    जिस घर में रुद्राक्ष की पूजा की जाती है, वहां लक्ष्मी जी का वास रहता है।

    रुद्राक्ष भगवान शंकर की एक अमूल्य और अद्भुत देन है। यह शंकर जी की अतीव प्रिय वस्तु है। इसके स्पर्श तथा इसके द्वारा जप करने से ही समस्त पाप से निवृत्त हो जाते है और लौकिक-परलौकिक एवं भौतिक सुख की प्राप्ति होती है।

  2. ज्योतिषाचार्य
  3. पंडित ओम प्रकाश शर्मा
  4. उज्जैन महाकाल वन
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1 Comment

गुरु जी प्रणाम। रुद्राक्ष की माला के बारे में आप के द्वारा दी गई जानकारी बहुत ही प्रशंशनीय है।

सतेंद्र यादव

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