हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
|| ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ||
कालसर्प पूजा
कालसर्फ के बारे में योग
कालसर्प योग का विचार करनेसे पहले राहू केतू का विचार करना आवश्यक है| राहू सर्प का मुख माना गया है| तो केतू को पुँछ मानी जाती है| इस दोग्रहोंकें कारण कालसर्प योग बनता है| जन्मकुंडली में यह दोनों ग्रहोंकें बीच शुभ ग्रह आ गये तो वह कालसर्प योग का चिन्ह होता है| हिरण्यकश्यपूकी पत्नि सिंहिकासे राहू का जन्म हुआ है|
समुद्रमंथनसे प्राप्त हुआ अमृत प्राप्त करने के लिए राहू देव समुहमे जाकर बैठे| वह अमृत प्राशनकरनेहीवाला था तो चंद्र सूर्य ने मोहिनी को इशारा किया|मोहिनी रूप विष्णूने तत्काल राहू का शिरच्छेद किया|
अत: उसके शरीरके पूर्व भाग को राहूऔर उत्तर भाग को केतू कहने लगे| तभी नवग्रह में उन्हे स्थान प्राप्त हुआ|
राहू के वजहसे ही कालसर्प योग बन सकता है|वैदिक कर्मकांड में राहू को आदि देवता काल माना गया है, और प्रत्याधिदेवता सर्प को माना गया है|इसलिए राहू दूषित होनेसे कालसर्प योग बनता है| राहू यदी शुभास्थिती में हो तो भाग्यदायक और पराक्रमी होता है| उनका प्रभुत्व मंत्र तंत्र अघोरीविद्याओके साथ होता है| यदी राहू दुषित हो तो स्मृतिनाश, अपकिर्ती पिशाच्चबाधा संतति को कष्ट अपाय करता है|अनेक कार्योंमे विलंब अथवासफलता मिल सकती है| हर कार्य आसान होने के लिए वैदिक कालसर्प योग शांति विधान करना चाहिए|
कभी कबार कुछ नवग्रह राहु केतू की दुसरी ओर या फिर उनके दायरेसे बाहर भी होते है | इस स्थिति को अर्ध कालसर्प योग कहते है |
जन्म कुंडली मे कालसर्प योग आने से आपको जीवन मे बहुत समस्याओं का सामना करना पडता है |
हम बहुत पैसा कमाते है पर न जाने वह किस तरह चला जाता है और हमेशा धन का अभाव बना रहता है |
इस योग के कारण आपके मन में बूरे खयाल आते है और आपका मन घबरा जाता है |
यह योग आपकी पढाई में बाधा डालता है और अपको शादी करने मे भी समस्या होती है |
कालसर्प योग आपके व्यवसाय में भी बाधा डालता है |
पति पत्नी के बिच मतभेद और झगडा होना यह भी कलसर्प योग के कारन होता है |
इस लिये उपर दिये गये सभी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिये कालसर्प शांती पू्जा करना जरूरी है |
कालसर्प शांती पूजा मे सर्प देव मुख्य देवता होते है |
आपकी इच्छा नुसार आप सर्प देव कि छोटी सोने कि प्रतिमा ला कर उसकी पूजा कर के पंडितजी को दान कर सकते है या फिर कोइ और दान कर सकते है |
महत्वपूर्ण सुचना :
कालसर्प शांती पुजा 1 दिन मे संपन्न की जाती है |
पूजा के लिए पुरुष नये वस्त्र जैसे कुर्ता-पजामा, धोती-कुर्ता स्त्रियों के लिए साडी-ब्लाऊज आदि वस्त्र लाना जरुरी है |
पूजा में बैंठने वाले सभी यजमान पूजा मेंजो वस्त्र पहने गे वो स्नान के बाद नदी के तट पर हो छोड़ना होगा
कालसर्प के प्रकार
कालसर्प योग के 12 प्रकार के होते हैं।
अनंत कालसर्प योग
जब लग्न में राहु और सप्तम भाव में केतु हो और उनके बीच समस्त अन्य ग्रह इनके मध्या मे हो तो अनंत कालसर्प योग बनता है । इस अनंत कालसर्प योग के कारण जातक को जीवन भर मानसिक शांति नहीं मिलती । वह सदैव अशान्त क्षुब्ध परेशान तथा या अस्थिर रहता है: बुध्दिहीन हो जता है। मानासिक संबंधी रोग भी परेशानी पैदा करते है। हमेशा भृम में डूबा रहता है हमेशा शोचता रहता है और हमेशा उजाले में रहते हुवे भी अन्धकार सा महसूस करता है
कुलिक कालसर्प योग
जब जन्मकुंडली के व्दितीय भाव में राहु और अष्टम भाव में केतू हो तथा समस्त उनके बीच हों, तो यह योग कुलिक कालसर्प योंग कहलाता है।
यह कालसर्फ दोष में वियक्ति कितना ही कमाये इसमे बचत नहीं होती है और ऋणी हो जाता है इस का होता हुवा धन इस का नहीं होता है हटो से निकल जाता है
वासुकि कालसर्प योग
जब जन्मकुंडली के तीसरे भाव में राहु और नवम भाव में केतु हो और उनके बीच सारे ग्रह हों तो यह योग वासुकि कालसर्प योग कहलाता है।
इस दोष में व्यक्ति अपना अपमान होता है परिवार सुक में कमी करता हे मान हानि करता है ।मान समान में कमी यश में कमी करता है
शंखपाल कालसर्प योग
जब जन्मकुंडली के चौथे भाव में राहु और दसवे भाव में केतु हो और उनके बीच सारे ग्रह हों तो यह योग शंखपाल कालसर्प योग कहलाता है।माँ के सुख में कमी करता है भवन ,वाहन, भूमि ,सुख की कमी करता है
पद्म कालसर्प योग
जब जन्मकुंडली के पांचवें भाव में राहु और ग्याहरहवें भाव में केतु हो और समस्त ग्रह इनके बीच हों तो यह योग पद्म कालसर्प योग कहलाता है।
इस योग में बुद्धि विधियाँ कलाये सन्तान में बाधा डालता है
महापद्म कालसर्प योग
जब जन्मकुंडली के छठे भाव में राहु और बारहवें भाव में केतु हो और समस्त ग्रह इनके बीच कैद हों तो यह योग महापद्म कालसर्प योग कहलाता है।
इस योग में जातक से कोई जित नहीं शकता हे बोलने में लड़ाई में जातक को अहंकारी बनाता है
तक्षक कालसर्प योग
जब जन्मकुंडली के सातवें भाव में राहु और केतु लग्न में हो तथा बाकी के सारे इनकी कैद मे हों तो इनसे बनने वाले योग को तक्षक कालसर्प योग कहते है। इस योग में जातक पत्नी सुख में कमी व्यपार में कमी हानि करता है
कर्कोटक कालसर्प योग
जब जन्मकुंडली के अष्टम भाव में राहु और दुसरे भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके मध्य मे अटके हों तो इनसे बनने वाले योग को कर्कोटक कालसर्प योग कहते है। इस योग में जातक को पितृऋणी बनाता है हमेसा पितृ दोष बना रहता है जिसे वह आगे बढ़ नहीं पाता है
शंखनाद कालसर्प योग
जब जन्मकुंडली के नवम भाव में राहु और तीसरे भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके मध्य अटके हों तो इनसे बनने वाले योग को शंखनाद कालसर्प योग कहते है। इस दोष में जातक को भाग्य में अड़चन रुकावट करता है पूजा पाठ में विघ्न डालता है
पातक कालसर्प योग
जब जन्मकुंडली के दसवें भाव में राहु और चौथे भाव में केतु हो और सभी सातों ग्रह इनके मध्य मे अटके हों तो यह पातक कालसर्प योग कहलाता है।
इस योग में पद, नोकरी, पिता ,राजनितिक आदि योग में कमी करता है
विषाक्तर (कालिया नाग) कालसर्प योग
जब जन्मकुंडली के ग्याहरहवें भाव में राहु और पांचवें भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके मध्य मे अटके हों तो इनसे बनने वाले योग को विषाक्तर कालसर्प योग कहते है। इस योग में जातक को धन हानि होती है अपना होते हुवे भी नहीं मिलता है सामने रखा हु भी नहीं मिलता है p.ops.099777-42288
शेषनाग कालसर्प योग
जब जन्मकुंडली के बारहवें भाव में राहु और छठे भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके मध्य मे अटके हों तो इनसे बनने वाले योग को शेषनाग कालसर्प योग कहते इस योग में जातक कंजूस कम खर्चीला व हटी होता है गुस्सा भृम में डाल ने वाला होता है
Kalsarpa Yoga
आपकी कुण्डली में कालसर्प योग है इस बात का पता कुण्डली में ग्रहों की स्थिति को देखकर पता चलता है लेकिन कई बार जन्म समय एवं तिथि का सही ज्ञान नहीं होने पर कुण्डली ग़लत हो जाती है. इस तरह की स्थिति होने पर कालसर्प योग आपकी कुण्डली में है या नहीं इसका पता कुछ विशेष लक्षणो से जाना जा सकता है.
कालसर्प के लक्षण (Signs you have Kalsarp Yoga)
कालसर्प योग से पीड़ित होने पर स्वप्न में मरे हुए लोग आते हैं. मृतकों में अधिकांशत परिवार के ही लोग होते हैं. इस योग से प्रभावित व्यक्ति को सपने में अपने घर पर परछाई दिखाई देती है. व्यक्ति को ऐसा लगता है मानो कोई उसका शरीर और गला दबा रहा है. सपने में नदी, तालाब, समुद्र आदि दिखाई देना भी कालसर्प योग से पीड़ित होने के लक्षण हैं.
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस योग से प्रभावित व्यक्ति समाज एवं परिवार के प्रति समर्पित होता है वे अपनी निजी इच्छा को प्रकट नहीं करते और न ही उन्हें अपने सुख से अधिक मतलब होता है. इनका जीवन संघर्ष से भरा होता है. बीमारी या कष्ट की स्थिति में अकेलापन महसूस होना और जीवन बेकार लगना ये सभी इस योग के लक्षण हैं.
इस प्रकार की स्थिति का सामना अगर आपको करना पड़ रहा है तो संभव है कि आप इस योग से पीड़ित हैं. इस योग की पीड़ा को कम करने के लिए इसका उपचार कराएं.
कालसर्प योग कारण (Cause of Kalsarpa Yoga)
कर्म फल की बात सभी शास्त्र और धर्म में बताया गया है. हम जैसा कर्म करते है उसी के अनुरूप हमें फल मिलता है. कालसर्प योग के पीछे भी यही मान्यता और धारणा है. मान्यताओं के अनुसार कालसर्प योग उस व्यक्ति की कुण्डली में बनता है जिसने पूर्व जन्म में सांप को मारा हो या किसी बेकसुर जीव को इतना सताया हो कि उसकी मृत्यु हो गयी हो. इसके अलावा यह भी माना जाता है कि जब व्यक्ति की प्रबल इच्छा अधूरी रह जाती है तब व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए पुनर्जन्म लेता है और ऐसे व्यक्ति को भी इस योग का सामना करना होता है.
कालसर्प योग शांति (Remedies of Kalsarp Yoga)
कालसर्प योग के अनिष्टकारी प्रभाव से बचने के लिए शास्त्रो में जो उपाय बताए गये हैं उनके अनुसार प्रतिदिन पंचाक्षरी मंत्र “ऊँ नम शिवाय अथवा महामृत्युंजय मंत्र का 108 जप करना चाहिए. काले अकीक की माला से राहु ग्रह का बीज मंत्र 108 बार जप करना चाहिए. शनिवार के दिन पीपल की जड़ को जल से सिंचना चाहिए. नागपंचमी के दिन व्रत रखकर नाग देव की पूजा करनी चाहिए. मोरपंखधारी भगवान श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिए. शनिवार या पंचमी तिथि के दिन 11 नारियल बहते जल में प्रवाहित करने चाहिए. धातु से बने नाग नागिन के जोड़े बहते जल में प्रवाहित करने चाहिए. सोमवार के दिन किसी विद्वान पंडित से रूद्राभिषेक कराना चाहिए. कालसर्प गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए. इन उपायों से काल सर्प और सर्प योग के अनिष्टकारी प्रभाव में कमी आती है और जीवन में इनके कारण आने वाले अवरोधों का सामना नहीं करना होता है.
जो व्यक्ति कालसर्प योग में होते हैं वे सांप से भयभीत रहते हैं. इन्हें सांप काटने का डर लगा रहता है. सपने में शरीर पर सांप लिपटा होना दिखाई देना या सांप का सपना आना यह भी इस योग के लक्षण हैं. ऊँचाई पर जाने पर अनजाना भय सताना, घबराहट और बेचैनी होना तथा सुनसान स्थानों पर जाने से मन में भय आना कालसर्प का लक्षण माना जाता है.
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